अगर विनाशकारी भूकंप आया तो टिहरी बांध से निकला पानी देवप्रयाग, ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे कई शहरों को बाढ़ में डुबो देगा। इन दिनों बरसात के चलते नदियां उफनाई हुई हैं, ऐसे में इस तरह की अफवाहें फिर चल पड़ी हैं। इन तमाम आशंकाओं पर टिहरी बांध परियोजना के निदेशक एलपी जोशी ने अपनी बात रखी है। उनका कहना है कि मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। ऊपरी इलाके से बाढ़ के पानी को टिहरी डैम में रोक लिया जाता है। आजकल टिहरी झील का लेवल 811 आरएल मीटर है। टिहरी डैम आपदा, भूकंप, डिजायन और फ्लड क्षमता के अनुरूप पूरी तरह से सुरक्षित है। टिहरी बांध रॉकफिल बांध है जिसमें पूरी एडजस्टेबल क्षमता है। डैम के निर्माण से पहले मास्को की अंतराष्ट्रीय संस्था एचपीआई और आईआईटी रुड़की की संयुक्त टीम से रिसर्च करवाकर मानकों को अपनाया गया है।
एक और बात, टिहरी बांध 8 रिएक्टर के भूकंप को भी झेल सकता है, जबकि दुनिया में अभी तक सिर्फ 7 रिएक्टर का ही भूकंप आया है। टिहरी बांध का रिजर्व वायर इतना विशाल है कि 7500 क्यूमैक्स पानी की क्षमता को वर्ष 1999 में आये फ्लड में झेल चुका है, जबकि इस बांध की क्षमता 15 हजार क्यूमैक्स वाटर को झेलने की है। बांध की सुरक्षा के लिए 350 से अधिक अत्याधुनिक उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वरिष्ठ जियोलॉजिस्ट और सिस्मोलॉजिस्ट ने भी टिहरी डैम के सर्वे में पाया है कि इसमें रिएक्टर स्केल 8 की तीव्रता वाले भूकंप को सहने की क्षमता है। इस तरह टीएचडीसी के अधिकारियों ने स्थिति साफ कर दी है। उनका कहना है कि डैम की सुरक्षा को लेकर फैलाई जा रही सभी बातें भ्रामक हैं। अभी तक की सेफ्टी रिपोर्ट में बांध को पूरी तरह फिट बताया गया है।