ड्रैगन फ्रूट की खेती कर पूरे उत्तराखंड में पेश की इस पहाड़ के युवा ने मिसाल।
पहाड़ के युवा मनोज सेमवाल ने किया, ड्रैगन फ्रूट का सपना साकार। ड्रैगन फ्रूट एक ऐसा फल को की देश विदेश में काफ़ी चर्चित है, इसे पिताया के नाम से अमेरिका में भी जाना जाता है।, और अब उत्तराखंड में भी मनोज सेमवाल ने इसकी नींव रखी, जो की उन्होंने कोरोना काल में ही एक स्वरोजगार के तौर पर इसकी शुरुआत की थी, मनोज सेमवाल देहरादून स्थित नवादा क्षेत्र में अपने निवास पर ही इसकी खेती कर, ड्रैगन फ्रूट को उत्तराखंड में बढ़ावा दे एक मिसाल बन रहे है।
मनोज सेमवाल ने बताया कि 2017 में जब पीएम मोदी उत्तराखंड दौरे पर आए थे, तो जिस होटल में उनके लिए भोजन का इंतजाम किया गया था, वहा पर ड्रैगन फ्रूट काटा जा रहा था।, फिर उनका भी मनोबल बढ़ा की उत्तराखंड में भी इसे उगाया जाएं ,और उन्होंने इस फल के बारे में जानकारी जुटाना शुरू कर दी। इस फल के रिसर्च करने के बाद मनोज सेमवाल ने वेयतनाम, चंडीगढ़, और गुजरात से ड्रैगन फ्रूट के 250 पौधे पार्सल के द्वारा मंगाए गए ,आपको बता दे की मनोज ने यह सब अपने निजी खर्चों से जुटाया हुआ रोजगार है, सरकार द्वारा इसमें उन्हें कोई भी मदद या सहायता नहीं दी गई, उनका कहना है की सरकार उनके इस बढ़ते रोजगार को एक योगदान दे कर पूरे उत्तराखंड में इसे, एक संदेश के रूप में पेश करें। जिससे हर युवा को एक रोजगार भी मिले सके।
ड्रैगन फ्रूट की फल की कीमत 200 रुपए किलो तक मिल जा रही है। इसकी खेती डेढ़ से दो साल में तैयार हो जाती है। और ठीक तरह से देखभाल हो तो एक बार पौधा लगाने पर 25 से 30 साल तक कमाई हो सकती है।
मनोज सेमवाल ने बताया कि युवाओं के लिए रोजगार का यह बेहतरीन उदाहरण है। अगर खाली पड़ी जमीन है तो उस पर ड्रैगन फ्रूट की खेती की जा सकती है। ड्रैगन फ्रूट पौष्टिक गुणों से भरपूर है। यानी एक ड्रैगन फ्रूट खाने से 8 सेब या 4 कीवी के बराबर पोषण मिलता है।
इसमें विटामिन सी, विटामिन बी1 बी2 बी3 और एंटी कार्सिनोजन एजेंट्स पाए जाते हैं। ड्रैगन फ्रूट खाने से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल कम होता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद मिलती है। ड्रैगन फ्रूट में फाइबर भरपूर मात्रा में मौजूद होता है, जो पाचन के लिए फायदेमंद होता है। कैंसर रोगियों, प्रेग्नेंट महिलाओं, शुगर पेशेंट या ज्वाइंट पेन से जूझ रहे लोगों के लिए ड्रैगन फ्रूट बेहद फायदेमंद होता है।