सनातन धर्म में सावन के महीने को बेहद पवित्र माना जाता है. सावन के महीने के जैसे ही हिंदू परंपरा में मलमास या अधिकमास का भी बेहद महत्व होता है. मलमास को ही पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार, इस महीने में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता. अधिकमास हर 3 साल के बाद आता है. अबकी बार इस मलमास की शुरुआत 18 जुलाई से होने वाली है. 16 अगस्त तक मलमास रहेगा
क्यों लगता है मलमास
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रह के एक राशि से दूसरी राशि गोचर करने की प्रक्रिया को संक्रांति कहा जाता है। बता दें कि सूर्यदेव लगभग हर महीने अपनी राशि बदलते रहते हैं। लेकिन मलमास वह महीना होता है जिसमें सूर्य का राशि परिवर्तन नहीं होता। इसी वजह से इसे मलीन मास या मलमास कहा जाता है। इस दौरान शादी-ब्याह, उपनयन संस्कार, मुं और नए कपड़े और गहने खरीदने जैसे कोई भी शुभ कार्य नही होते हैं।
भूलकर भी ना करें ऐसी चीजें
मलमास के महीने में शादी विवाह करने की मनाही होती है। अगर आप बिना शुभ मुहूर्त के शादी ब्याह करते हैं तो दांपत्य जीवन में हमेशा कलह उत्पन्न होता है। इसके अलावा, आपको इस दौरान नए कपड़े खरीदने और नए गहनों की खरीदारी से भी बचना चाहिए। दूसरी ओर इस महीने नया घर खरीदने, प्रवेश करने और कोई नया व्यवसाय शुरू करने से भी बचना चाहिए।
भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व
इस महीने भगवान विष्णु की होती है पूजा मलमास के अलावा इस महीने को अधिकमास और पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस महीने भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु की पूजा के वजह से ही इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस महीने भगवान विष्णु की पूजा अर्चना से भक्तों को 10 गुना अधिक फल मिलता है।