ऋषिकेश : ज्ञान की खोज में भारत आए सुप्रसिद्ध ब्राजीलियाई वेदांत आचार्य जोनास मसेटी ने उत्तराखंड के ऋषिकेश में पवित्र नदी गंगा का आशीर्वाद लेकर अपनी यात्रा का समापन किया। उन्होंने गंगा नदी के तट पर स्वामी दयानंद आश्रम की मंत्रमुग्ध करने वाली आरती में भाग लिया और भजनों का आनंद उठाया संतों के शहर में आचार्य मसेटी ने सुप्रसिद्ध स्वामी दयानंद आश्रम के छात्रों से भी मुलाकात की और अंतर्मन की खोज में अपनी इस अविश्वसनीय यात्रा का अनुभव बताया। उन्होंने जीवन में वेदांत और भगवद गीता के ज्ञान को जगह देकर उसका सच्चा अर्थ जानने और दुनिया की गहरी समझ हासिल करने पर जोर दिया।
गंगा नदी के तट पर बैठे आचार्य जोनास मसेटी ने कहा गंगा जीवनदायी नदी है और सब को क्षमा कर देती है। भारत की मेरी अध्यात्म यात्रा का समापन इस पवित्र नदी के आशीर्वाद के साथ करने से बेहतर क्या हो सकता था! नदी की ध्वनि, हवा में सुगंध, मंत्रमुग्ध कर देने वाला वातावरण यहां सब कुछ असली है। यहां आपका मन, शरीर और आत्मा एकाकार हो जाते हैं।
उन्होंने कहा ऋषिकेश भारतीय संस्कृति का हृदय स्थल है। इसमें गोता लगाने वालों के लिए हर ओर से ज्ञान की गंगा बहती है। मैंने जब से वेदांत का मार्ग चुना और भगवद गीता का ज्ञान अपनाया है इस स्थान का मेरे जीवन में महत्व बहुत बढ़ गया है। यहां की हर यात्रा में मैं खुद को थोड़ा और अपने करीब महसूस करता हूं। इस बार भी यह एक अविश्वसनीय यात्रा रही है। मुझे भारतीय संस्कृति में गोता लगाने और अपने गुरु श्री साक्षात्कृतानंद सरस्वती स्वामी जी के निकट रहने का मौका मिला। इस दौरान मुझे अनमोल ज्ञान और मार्गदर्शन मिला।
आचार्य मसेटी पश्चिमी देशों में वेदों और भगवद गीता के ज्ञान का प्रसार कर रहे हैं। अध्यात्म, वैदिक ज्ञान और मानवता के कार्यों के लिए जाने जाते हैं। माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भी पश्चिम में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने में उनके अमूल्य योगदान का सम्मान करते हुए 2020 में अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात में उनका उल्लेख किया था।
आचार्य मसेटी को लोग प्रेम से विश्वनाथ कहते हैं। बीते 20 नवंबर से वे 19 दिन की भारत यात्रा पर हैं। यह एक अभूतपूर्व आध्यात्मिक अभियान है। इस दौरान वे भारत की राष्ट्रीय राजधानी में ब्राजील के राजदूत माननीय आंद्रे अरान्हा कोर्रा डो लागो और राज्यसभा सदस्या सोनल मानसिंह से मिले। कई अध्यात्म गुरुओं के साथ ज्ञानवर्धक बातचीत की और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी भागीदारी की।
भारत दर्शन के दौरान श्री स्वामी दयानंद सरस्वती से मिलने के बाद आचार्य मसेटी के जीवन में एक अध्यात्मिक मोड़ आया जो उन्हें शेयर बाजार से वैदिक शिक्षा की ओर ले गया। उनके मार्गदर्शन में आचार्य मसेटी ने अर्श विद्या गुरुकुलम में वेदों का ज्ञान प्राप्त किया और आचार्य की उपाधि पाई। पारंपरिक वेदांत और संस्कृत सीखने के लिए वे 4 साल कोयंबटूर में भी रहे।
ब्राजील लौट कर आचार्य मसेटी ने रियो डी जनेरियो (ब्राजील) में विश्व विद्या संगठन की स्थापना की और ब्राजील एवं अन्य पश्चिमी देशों में विभिन्न माध्यमों से वेदांत और भगवद गीता के ज्ञान का प्रसार शुरू किया। आज विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर उनके 5,000 से अधिक फाॅलोअर हैं और 1 मिलियन से अधिक श्रोता हैं। आचार्य मसेटी ब्राजील में वेदांत और संस्कृत का पहला गुरुकुलम बनाने की प्रक्रिया में हैं।
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