लेखक: मिनरल कक्कड़
हिमालय की गोद मे बसा उत्तराखंड। पंच बदरी, पंच केदार, पंच प्रयाग, यख छिन, पंच पंडव भी एन यख भाग हमारा धन्य धन्य। कुंड छिन यख ताल छिन मठ यख महान छिन। उत्तराखंड जिसे देवो से देवभूमि होने की पहचान मिली। यहां देवो ने जन्म लिया और और इस भूमि को देव कर्मो से पवित्र भूमि होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आज इस भूमि के कण कण में देवय शक्ति विराजमान है। ये भूमि अपनी हर गती से देवो के होने का एहसास कराती है। ये देवभूमी महाभारत के कई चरित्रों के देवभूमि से जुड़े होने के प्रमाण देती है। वेद व्यास, गुरु द्रोणा चर्या, अस्वथामा, से पांडवो तक कई चरित्रों का वर्णन देवभूमि के इतिहास के पन्नो में शामिल किया गया है। देवभूमि जिसे पूरे विश्व में उत्तराखंड नाम से पहचान मिली। वो उत्तराखंड अब युवा हो चुका है। ये उत्तराखंड अब 23 वर्ष का हो चला है। इन 23 वर्षो में हिमालय की गोद में समाय उत्तराखंड ने कई तरक्की देखी तो कई प्रलय भी देखी। पहाड़ो तक पहुंचती सड़क देखी, तो पहाड़ो को सड़को पर आते भी देखा। लेकिन आज भी ये विशाल पर्वत प्राकृति की गोद में बने हुए है।
9 नवंबर 2000 का वो दिन जब उत्तरखंड की स्थापना की गई। 1949 में टिहरी गढ़वाल की रियासत भारत संघ में शामिल हो गई। आपको बता दे की भारत की स्वतंत्रता के बाद सभी के संयुक्त प्रांत के हिमालय जिलों में क्षेत्रीय साहित्य में महतवपूर्ण ध्यान आकर्षित करना शुरू कर दिया। 1950 में भारत संविधान को अपनाने के साथ साथ संयुक्त प्रांत का नाम बदल कर उत्तरप्रदेश कर दिया गया और ये भारत का एक राज्य बन गया। आज़ादी के कई दशक बीत गए लेकिन उत्तरप्रदेश सरकार हिमालय क्षेत्र में लोगो के हितों को संबोधित करने की उम्मीद को पूरा नही कर सकी। बेरोजगारी, गरीबी, पलायन, विकास की कमी के साथ एक अलग पहाड़ी राज्य के निर्माण की लोकप्रिय मांग ने जन्म लिया। इस मांग को लेकर विरोध ने गती पकड़ी और 90 के दशक में व्यापक राज्य आंदोलन का रूप लिया। 2 अक्तूबर सन 1994 को इस आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया। तब उत्तरप्रदेश पुलिस ने मुज्जफरनगर में आंदोलनकारियो की भीड़ पर गोलियां चलाई, जिसमे कई लोग मारे भी गए। लेकिन राज्य के कार्यकर्ताओं ने अगले कई वर्षो तक अपना आंदोलन जारी रखा।
ऐसे हुआ उत्तराखंड राज्य का गठन
9 नवंबर सन 2000 को उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 द्वारा उत्तर प्रदेश के पूर्ववर्ती राज्य को विभाजित करते हुए उत्तरांचल के रूप में किया गया। फिर 1 जनवरी 2007 को, उत्तरांचल का नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया, उस नाम को पुनः प्राप्त किया जिसके द्वारा इस क्षेत्र को राज्य के गठन से पहले जाना जाता था। आज उत्तराखंड का गौरव पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करता है। उत्तराखंड ने विश्व भर को अपने सामर्थ्य का परिचय अपनी सादगी और विशाल संस्कृति से दिया है। पर्वतों की गोद में पंच बदरी, पंच केदार, पंच प्रयाग 4 धाम की पावन भूमी पूरे विश्व को अपने कदमों में झुकने को अग्रसर करती है। बदलते वक्त के साथ साथ ये भूमि पहाड़ों से पलायन करती अपनी संतानों से पुनः मिलने के लिय अक्सर ललाहित रहती है। लेकिन आज भी ये भूमि विशाल संस्कृति विशाल काय और निडर होकर सदैव स्थित खड़ी रहती है।