देहरादून। डीआईटी विश्वविद्यालय ने उत्तराखंड में कम प्रतिनिधित्व वाले समुदायों के छात्रों के लिए शेवनिंग एलुमनी प्रोग्राम फंड से वित्त पोषित शेवनिंग स्कॉलरशिप के सहयोग से एक दिवसीय नेतृत्व और सॉफ्ट-कौशल विकास कार्यशाला की मेजबानी की। शेवनिंग स्कॉलरशिप यूके सरकार का अंतर्राष्ट्रीय छात्रवृत्ति कार्यक्रम है जो विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय द्वारा वित्त पोषित है।
कार्यशाला में देहरादून के विभिन्न विश्वविद्यालयों (डीआईटी यूनिवर्सिटी, तुला इंस्टीट्यूट, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी, ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी, गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, एमकेपी कॉलेज, श्री देव सुमन यूनिवर्सिटी, हिमगिरी ज़ी यूनिवर्सिटी) के 100 छात्रों को लक्षित किया गया। इस सहयोगात्मक कार्यक्रम ने प्रतिभागियों को उच्च शिक्षा के अवसरों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान से सुसज्जित किया। इन छात्रों को नेतृत्व विकास, सॉफ्ट-कौशल वृद्धि और छात्रवृत्ति आवेदन रणनीतियों में मूल्यवान अंतर्दृष्टि भी प्रदान की गई।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने छात्रों का भरपूर मार्गदर्शन किया। वक्ताओं में श्री. जी. रघुरामा, कुलपति, डीआईटीयू
सुप्रिया चावला, प्रमुख, शेवनिंग स्कॉलरशिप, भारत और श्री. प्रद्युम्न बोरा, वरिष्ठ कार्यक्रम एवं संबंध प्रबंधक, शेवनिंग स्कॉलरशिप, ब्रिटिश उच्चायोग।
राधिका झा (आईएएस 2002 बैच), सचिव, उत्तराखंड सरकार
श्री. श्री बीवीआरसी पुरूषोत्तम (आईएएस 2004 बैच), सचिव, उत्तराखंड सरकार
श्री. अर्जुन शंकर (पर्यावरण अर्थशास्त्री, वेल लैब्स) ने अपने अपने विचार व्यक्त किए।
शेवेनिंग और डीआईटी विश्वविद्यालय के बीच इस प्रभावशाली सहयोग ने छात्रों को भविष्य के नेताओं और सलाहकारों के निर्माण और उनके समुदायों और समग्र राष्ट्र निर्माण के लिए प्रभावशाली परिणामों के लिए कौशल विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण सुझाव और कदम प्रदान किए। इस कार्यक्रम ने प्रतिभागियों को अपनी शैक्षणिक महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने और अपने समुदायों में सार्थक योगदान देने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के दौरान डॉ. सैमुअल अर्नेस्ट रजिस्टर, डॉ. नवीन सिंघल, चीफ प्रॉक्टर और डीन एलुमनी रिलेशंस, श्री अभिषेक सरकार मैनेजर सीडीसी विभाग, श्री विभोर शर्मा, डॉ. सुकन्या शर्मा, पारुल कालिया और सुरेंद्र दत्त अवस्थी, डॉक्टर मोनिका श्रीवास्तव, सौरभ बडोनी एसोसिएट डीन प्लेसमेंट्स और वैभव मेहता हेड एच आर सहित नवीन सिंघल जी भी उपस्थित थे।