समाल्टा निवासी गोपाल ने बताया कि उनकी बेटी निशा को कई दिन से बुखार आदि की शिकायत थी। जिस पर वह उसे विकासनगर के लेहमन अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां बेड न मिलने उसे दून रेफर कर दिया गया। मंगलवार रात करीब 9 बजे उन्होंने बेटी को दून अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। तब तक उसकी स्थिति सामान्य थी। आरोप लगाया कि निशा के बगल के बेड पर एक पॉइजनिंग का मरीज भर्ती था। उसे जो इंजेक्शन लगना था, उसे निशा को लगा दिया गया। आरोप है कि यही लापरवाही निशा की मौत का कारण बनी। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें बताए बिना शव को मोर्चरी में शिफ्ट कर दिया गया। हंगामे की सूचना पर पहुंची पुलिस ने बमुश्किल स्वजन को शांत किया। स्वजन किसी बड़े अधिकारी को मौके पर बुलाने की जिद पर अड़े हैं। हालांकि, इस बीच अस्पताल के डिप्टी एमएस डॉ धनंजय डोभाल ने परिजनों से बात की। उनकी मांग है कि ड्यूटी पर तैनात स्टाफ को निलंबित किया जाए और पूरे प्रकरण की गहन जांच की जाए।
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