उत्तराखंड

मोरी : देवगोति मेला पहाड़ी संस्कृति व रीतिरिवाज़ के संरक्षण और आपसी मेल मिलाप के दृष्टिकोण से है महत्वपूर्ण।

मोरी ब्लॉक की तीन पट्टी पंचगाई , अडोर और, बडासु के 22 गांवों के आराध्य देव श्री सोमेश्वर देवता का आजकल देवगोति मेला चल रहा है ।जो कि पहले बडासु पट्टी के ढाटमीर गांव 10- 11 दिन तक चलता है और उसके बाद गंगाड और ओसला गांवों में मेला लगता है।


यह देवगोति मेला (जातरा ) श्रावण मास के बाद शुरू होता है । जिसमें पूरे 10 दिनों तक दिन के समय देवता की पूजा और रात्रि में दीया बाति (दीप प्रज्वलन) करने के पश्चात स्थानीय गीत, नृत्य और गाने गाए जाते हैं । इसमें अनेकों प्रकार की स्थानीय लोक विधा तांदी, रासो , चौपोती और लामण गीत ग्रामीणों और 22 गांव से आए मेहमानों द्वारा पूरे उत्साह और मिलन के साथ गाए जाते हैं । इस मेले में क्षेत्र के सभी लोग चाहे वो पुरुष हो , महिलाएं हो या फिर युवा युवक और युवतियां और बुजुर्ग वर्ग सभी खूब आनंदित होकर शामिल होते हैं ।
आज गंगाड गांव में इस मेले का अंतिम दिवस था । इस दिन सोमेश्वर देवता की पूजा होने के बाद देवता की डोली को नचाया जाता है और सभी भक्त अपने आराध्य देव से आशीष तथा क्षेत्र की कुशलता के लिए कामना करते हैं ।
स्थानीय निवासी लोक संस्कृति के जानकार चैन सिंह रावत ने बताया कि इस मेले का एक और महत्व भी है कि इस समय भेड़पालकों की भेड़ – बकरियां बुग्यालों से वापस गांव आ जाती हैं । इस मेले के दौरान मेहमानों का स्वागत ढोल – बाजे बजाकर किया जाता है तथा लोकल पहाड़ी व्यंजन जैसे कंडाली का साग , फापरे और ओगले की पोली (पहाड़ी रोटी) , मंडुवे की रोटी और बाडी आदि खिलाया जाता है । यह मेला पहाड़ी संस्कृति और रीति – रिवाज़ो के संरक्षण और पहाड़ी लोगों के आपसी मेल – मिलाप के दृष्टिकोण से भी बहुत ही महत्वपूर्ण है ।
इस मेले में पूरे 22 गांवों के सियाणे – भंडारी ,देवता के पुजारी और बाजगी लोग भी शामिल होते हैं ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button