स्तुत्या पेटवाल और आरुषि पाल विजेता के रूप में उभरे
देहरादून: वर्ल्ड इंटेग्रिटी सेंटर (डब्लूआईसी) इंडिया, देहरादून ने हिंदी दिवस 2025 के अवसर पर राजपुर रोड स्थित अपने परिसर में अंतरविद्यालयी हिंदी वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस प्रतियोगिता में देहरादून के नौ विद्यालयों—आईआईटी चिल्ड्रन अकैडमी, जसवंत मॉडर्न स्कूल, हिम ज्योति स्कूल, पॉली किड्स स्कूल, पाइन हॉल स्कूल, सृजन स्कूल, पीएम श्री जीजीआईसी (राजपुर रोड), शिक्षांकुर द ग्लोबल स्कूल और साईग्रेस अकैडमी इंटरनेशनल—के छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। युवा प्रतिभागियों ने विचारोत्तेजक विषय “सोशल मीडिया – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या भ्रम का जाल?” पर अपने पक्ष और विपक्ष के विचार प्रस्तुत किए। छात्रों ने सोशल मीडिया को अभिव्यक्ति के मंच और भ्रम के जाल—दोनों रूपों में परखते हुए प्रभावशाली तर्क रखे।
निर्णायक मंडल की अध्यक्षता प्रोफेसर हर्ष डोभाल ने की, जो वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और शिक्षाविद् हैं और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 25 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। वर्तमान में वे दून विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर हैं और राजनीति, सामाजिक न्याय, पर्यावरण तथा वैश्विक संघर्षों पर गहन कार्य कर चुके हैं। उनके साथ निर्णायक मंडल में शिक्षाविद् संगीता रावत भी शामिल रहीं, जिन्होंने पिछले 25 वर्षों से हिंदी साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। स्नातक स्तर पर हिंदी साहित्य में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली रावत को वर्ष 2015 में भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया तथा वर्ष 2020 में राष्ट्रीय भारतीय सैन्य विद्यालय, देहरादून में उनके अध्यापन काल के दौरान उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद विजेताओं की घोषणा की गई। शिक्षांकुर द ग्लोबल स्कूल की स्तुत्या पेटवाल को पक्ष में और साईग्रेस अकैडमी इंटरनेशनल की आरुषि पाल को विपक्ष में सर्वश्रेष्ठ वक्ता घोषित किया गया। उपविजेताओं में जसवंत मॉडर्न स्कूल की अदिति सिंह (पक्ष में) और पाइन हॉल स्कूल की वंशिका अनंतिवान (विपक्ष में) रहीं। पॉली किड्स स्कूल के आदित्य बिष्ट और नविका को कॉन्सुलेशन पुरस्कार प्रदान किया गया।
इस अवसर पर डब्लूआईसी इंडिया के निदेशक अंकित अग्रवाल और सचिन उपाध्याय ने कहा, “हिंदी दिवस केवल भाषा का उत्सव नहीं है, बल्कि विचारों और अभिव्यक्तियों का उत्सव भी है। आज हम सभी को यह देखकर प्रेरणा मिली कि विद्यार्थी समाज को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर इतने उत्साह और गहराई से विमर्श कर रहे हैं। डब्लूआईसी इंडिया ऐसे मंच प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो आलोचनात्मक सोच, संवाद और सांस्कृतिक गर्व को बढ़ावा देते हैं।