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उजाला सिग्नस ब्राइटस्टार Hospital, मुरादाबाद ने ब्रेन एनूरिज्म का बहुत ही कम चीरफाड़ वाली प्रक्रिया से किया इलाज

मुरादाबाद: मुरादाबाद के उजाला सिग्नस ब्राइटस्टार हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने ब्रेन एनूरिज्म (मस्तिष्क धमनीविस्फार) के लिए अत्याधुनिक एंडोवास्कुलर कोइलिंग तकनीक का उपयोग करके 59 वर्षीय महिला मरीज श्रीमती अंजू देवी (बदला हुआ नाम) की जान बचाई है। यह एडवांस्ड प्रक्रिया एक नॉन-इनवेसिव ब्रेन सर्जरी है। इस प्रक्रिया में ब्रेन को पारंपरिक ओपन सर्जरी की तरह खोलने की आवश्यकता नहीं होती है। सेरेब्रल एन्यूरिज्म (जिसे ब्रेन एन्यूरिज्म भी कहा जाता है) मस्तिष्क में आर्टरी पर एक कमजोर या पतला स्थान होता है जो इस बीमारी के होने पर फूल जाता है या बाहर निकल जाता है और खून से भर जाता है।
उजाला सिग्नस ब्राइटस्टार हॉस्पिटल के डॉ. नरेंद्र कुमार (एमबीबीएस, एमएस, एमसीएच) ने इस प्रक्रिया के बारे में बताया, “एंडोवास्कुलर कॉइलिंग एक बहुत ही कम चीरफाड़ वाली तकनीक है जो हमें ओपन सर्जरी के बिना ब्रेन एन्यूरिज्म का इलाज करने की सहूलियत प्रदान करती है। इस प्रक्रिया में हम फेमोरल आर्टरी के माध्यम से एन्यूरिज्म साइट तक पहुंचते हैं और एन्यूरिज्म में खून के प्रवाह को रोकने के लिए कॉइल लगाते हैं, जिससे एन्यूरिज्म के टूटने को प्रभावी रूप से रोका जाता है। यह प्रक्रिया रिकवरी के समय को काफी कम कर देती है और सर्जिकल खतरों को भी कम कर देती है।”
एंडोवैस्कुलर इलाज में आर्टरी (धमनी) के माध्यम से कैथेटर नामक एक छोटी प्लास्टिक ट्यूब को थ्रेड करके एन्यूरिज्म तक पहुंचाना होता है। कैथेटर को मस्तिष्क की आर्टरीज में आगे बढ़ाया जाता है। फिर कॉइल या स्टेंट लगाए जाते हैं। यह सर्जिकल क्लिपिंग की तुलना में कम आक्रामक प्रक्रिया होती है, और यह प्रक्रिया सुरक्षित भी होती है।
मरीज को दो दिनों से लगातार तेज सिरदर्द हो रहा था इसलिए उन्हें उजाला सिग्नस ब्राइटस्टार हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। यहाँ सीटी एंजियो ब्रेन स्कैन के बाद उन्हें पोस्टीरियर कम्युनिकेटिंग आर्टरी (पीसीओएम) एन्यूरिज्म के साथ-साथ स्पोंनटेनियस सबराच्नॉइड हेमरेज (एसएएच) और टेम्पोरल इंट्रासेरेब्रल हेमरेज (आईसीएच) का डायग्नोसिस किया गया। स्थिति की गंभीरता और संभावित खतरों को देखते हुए मेडिकल टीम ने तुरंत एक एंडोवास्कुलर कोइलिंग प्रक्रिया करने की सिफारिश की। इसके बाद 21 जून, 2024 को इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।
यह प्रक्रिया हॉस्पिटल के अत्याधुनिक कैथलैब में मेटिकुलस एसेप्टिक सावधानियों के साथ की गई। मेडिकल टीम ने फेमोरल आर्टरी के माध्यम से एन्यूरिज्म तक पहुंचकर एंडोवास्कुलर कोइलिंग के साथ PCOM एन्यूरिज्म की सफलतापूर्वक पहचान की और उसका इलाज किया। श्रीमती अंजू देवी को ऑपरेशन के बाद कोई समस्या नहीं हुई और 27 जून, 2024 को उन्हें सही हालत में छुट्टी दे दी गई। श्रीमती अंजू देवी पर किए गए एन्यूरिज्म के एंडोवास्कुलर मैनेजमेंट, आधुनिक न्यूरोसर्जरी में एक बढ़ते ट्रेंड को दर्शाता है। यह तकनीक ओपन ब्रेन सर्जरी का एक प्रभावी विकल्प प्रदान करती है। ओपन ब्रेन सर्जरी में बड़े चीरे लगते हैं और रिकवरी में काफी समय लगता है लेकिन इस प्रक्रिया में नहीं। इस केस की सफलता इसी तरह की बीमारियों से पीड़ित लोगों को इस तरह के इलाज के दृष्टिकोण को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

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