शिक्षा

Big breaking: 12 हजार शिक्षकों की जांच 69 निकले फर्जी, और भी कई फर्जी शिक्षकों का हो सकता है खुलासा।

Big breaking: Investigation of 12 thousand teachers found 69 fake, many more fake teachings may be exposed.

सरकारी विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई को लेकर दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सुनवाई की।

इस दौरान कोर्ट ने सरकार से पूछा कि कितने शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की जांच की जा चुकी है और कितने फर्जी शिक्षक अब तक निलंबित किए जा चुके हैं। जिसके जवाब में सरकार की ओर से बताया गया कि 33 हजार शिक्षकों में से करीब 12 हजार की जांच की जा चुकी है और शेष की जांच प्रक्रिया जारी है।

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि उत्तराखंड में करीब 3500 शिक्षक फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे हैं।

शुक्रवार को नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ इस याचिका पर सुनवाई कर सरकार को निर्देश जारी किए।

खंडपीठ ने विचाराधीन जांच को बेहद गंभीर बताते हुए शीघ्र पूरी करने को कहा। सरकार की ओर से दाखिल जवाब में कोर्ट के समक्ष यह भी तथ्य लाया गया कि अभी तक 69 शिक्षकों के फर्जी फस्तावेज पाए गए हैं। 57 फर्जी शिक्षकों को सरकार ने सस्पेंड कर दिया है। मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर की तिथि नियत की है।

स्टूडेंट वेलफेयर सोसाइटी ने दायर की है याचिका यह जनहित याचिका स्टूडेंट वेलफेयर सोसाइटी हल्द्वानी ने दायर की है। जिसमें कहा गया है कि राज्य के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में करीब साढ़े तीन हजार अध्यापक जाली दस्तावेज के आधार पर फर्जी तरीके से नियुक्त किए गए हैं। कुछ अध्यापकों के दस्तावेजों की एसआईटी जांच की गई। नाम भी सामने आए, लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत के कारण उन्हें क्लीन चिट दे दी गई और फर्जी शिक्षक अभी भी कार्यरत है। संस्था ने इस प्रकरण की एसआईटी से जांच कराने की मांग उठाई थी। पूर्व में राज्य सरकार ने अपना शपथ पत्र पेश कर कहा था कि इस मामले की एसआईटी जांच चल रही है ।

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