उत्तराखंडराजनीति

चमोली करंट हादसे के एक साल बीत जाने के बाद भी नहीं मिल पाई दोषियों को सजा- गरिमा मेहरा दसौनी

Even after one year of Chamoli current accident, the culprits could not be punished - Garima Mehra Dasouni

महज 4 मिनट में तड़प-तड़पकर
चमोली करंट हादसे में 16 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, पर उस घटना को एक बरस बीत जाने के बावजूद दोषियों का पता नहीं चल पाया ?किसी को कोई सजा नहीं हुई ?यह कहना है उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी का।
दसौनी ने विज्ञप्ति जारी कर दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि कितनी बड़ी विडंबना है कि 16 लोगों की 4 मिनट में जान चली जाती है परंतु एक साल बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार इस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई कि इस हादसे के लिए जिम्मेदार कौन है? दोषियों पर कार्रवाई तो दूर की बात है निर्माणकार्य कर रही कंपनी को क्लीन चिट दी जा रही है?
इस हादसे में 11 लोग बुरी तरह झुलस गये थे, गरिमा ने कहा कि चमोली करंट हादसा उत्तराखंड के इतिहास का सबसे दर्दनाक करंट हादसा है।
दसौनी ने कहा कि चमोली जिला बीते कुछ सालों से लगातार चर्चाओं में है।
चाहे रैहणी आपदा हो, ग्लेशियरों का टूटना, घस्यारी विवाद या जोशीमठ भू- धंसाव जैसी घटनाओं को लेकर चमोली जिला लगातार सुर्खियों में बना रहा। मगर बीते वर्ष बुधवार (19 जुलाई 2023) को चमोली जिले में जो हुआ उस घटना ने सबको झकझोर दिया था।लगभग एक वर्ष पहले इन्हीं दिनों चमोली करंट हादसे में 3 गांव से 16 लोगों की मौत हुई. इसमें हरमनी गांव के 10 लोग मारे गए. साथ ही इस हादसे में पुलिस का एक जवान और 3 होमगार्डस की मौत हो गई।
इस हादसे में मरने वालों में 9 लोगों की उम्र तो केवल 22 से 38 साल के बीच के थी।ये हादसा उत्तराखंड के इतिहास का सबसे दर्दनाक करंट हादसा बताया जाता है।
परंतु गरिमा ने धामी सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि उन दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि देना तो दूर की बात सरकारी लापरवाही से जो प्रकरण वहां पर हुआ उसका कोई पटाक्षेप आज 1 साल बीतने के बाद भी नहीं किया गया।
चमोली गोपेश्वर के पीपलकोटी में अलकनंदा नदी के तट पर निर्माणाधीन नमामि गंगे प्रोजेक्ट साइट पर एक व्यक्ति की मौत हुई थी. ये व्यक्ति साइट का केयर टेकर गणेश लाल था।गरिमा ने कहा कि 19 जुलाई की सुबह इस व्यक्ति के परिजनों को मुआवजा दिलवाने के लिए ग्रामीण इकट्ठे होकर प्लांट में प्रदर्शन कर रहे थे।
स्थानीय लोगों का कहना था कि नमामि गंगे के इस प्लांट में पहले भी कई बार करंट दौड़ चुका था।राज्य सरकार ने इस घटना के मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिये थे परंतु इस दर्दनाक घटना को एक वर्ष बीत जाने के बाद भी चमोली में हुई इस दर्दनाक घटना के जिम्मेदार लोगों पर कोई कारवाही नहीं हुई।

गरिमा ने कहा कि उत्तराखंड में करंट लील चुका है कई जिंदगियां।उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन (UPCL) से मिले आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड बनने के बाद प्रदेश में अब तक 2252 करंट से आग लगने की घटना सामने आई हैं. वहीं, शॉर्ट सर्किट की 206 घटनाएं हुई हैं. प्रदेश में करंट लगने से अब तक 1659 घटनाएं हो चुकी हैं. 442 लोग इन घटनाओं में अपंग हो चुके हैं. साल 2017 में कुमाऊं के रामनगर में बस के ऊपर बिजली का तार गिर गया था. इस घटना में 3 लोग मारे गए थे.2018 में खटीमा में ही बिजली का तार टूटने की वजह से 3 लोगों की मौत हुई थी. 2021 में सड़क पर बिजली का तार टूटने की वजह से एक व्यक्ति की मौत हुई. 2023 में दर्दनाक हादसा एसटीपी प्लांट में हुआ , जिसमें 16 लोगों की जान गई है. प्रदेश में सबसे ज्यादा करंट लगने से उन लोगों की जान जाती है जो ठेके पर बिजली के खंभों पर चढ़कर काम करते हैं. अब तक ऐसे 250 लोगों की जान जा चुकी है. करंट से मरने वालों को मात्र 4 लाख मुआवजा दिया जाता है, जो बेहद कम है। और तो और कार्यदाई संस्था पर कोई कठोर कारवाही ना होना अत्यधिक संदेहास्पद है

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