उत्तराखंड में कोटद्वार और निकटवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों में 16 घंटे तक हुई मूसलाधार बारिश से क्षेत्र में तबाही मच गई। पनियाली, गिवाईस्रोत गदेरे और खोह नदी के रौद्र रूप में 12 मकान नदी में समा गए। दो जीएमओयू की बसें बह गई और छह मकान क्षतिग्रस्त हो गए। आमपड़ाव, कौड़िया समेत करीब 20 वार्डों के सैकड़ों घरों में मलबा घुस गया।
मंगलवार शाम से ही पूरे क्षेत्र में जन जीवन अस्त व्यस्त है। मंगलवार रात को खाेह नदी के उफान से शहर को सनेह क्षेत्र से जोड़ने वाले गाड़ीघाट पुल की एप्रोच रोड बह गई। मंगलवार रात को हुई अतिवृष्टि ने दुगड्डा ब्लाॅक की मालन घाटी में भारी तबाही मचाई। चूना महेड़ा गांव में कई मकान ध्वस्त हो गए हैं जबकि कई मकान मलबे में दब गए और एक वृद्ध लापता हो गया।
शहर के बीचोंबीच से गुजर रहा करीब तीन किमी पनियाली गदेरा अतिक्रमण के कारण वर्ष 2017 से आपदा का सबब बना हुआ है। हर साल यह गदेरा शहर की आधी से अधिक आबादी को प्रभावित करता रहा, लेकिन शासन प्रशासन की ओर से इसके अतिक्रमण को हटाने की कवायद फाइलों से बाहर नहीं चल सकी।
समूचा कोटद्वार भाबर क्षेत्र में बीते 13 जुलाई की भारी बारिश से ही आपदा की चपेट में हैं। मालन पुल ढहने के बाद से बड़ी आबादी कण्वाश्रम मवाकोट के जंगल से बने एक संपर्क मार्ग से आवाजाही कर रही है। भारी वाहनों के संचालन के लिए मालन नदी में बनाया गया ह्यूम पाइप कॉजवे भी क्षतिग्रस्त हो गया है।
मंगलवार दिन में शुरू हुई मूसलाधार बारिश से नदियों के तट पर स्थित लोग बाढ़ के प्रति सचेत रहे। रात को आठ बजे के बाद जैसे ही पनियाली समेत नदी नाले उफनाने लगे। पुलिस तंत्र हरकत में आ गया।