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कौशलम् राज्य एक्सपो 2025: युवा उद्यमियों ने नए विचारों से जगाई उम्मीद की लौ, बिज़नेस सपोर्ट फंड ने बढ़ाया आत्मविश्वास

देहरादून। उत्तराखंड के 13 जिलों से चुनी गई 117 विद्यार्थियों की 39 टीमों ने आज ‘कौशलम् राज्य एक्सपो 2025’ में हिस्सा लिया, जो राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के नेतृत्व और उद्यम लर्निंग फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत गैलरी वॉक से हुई, जहां विद्यार्थियों ने अपने-अपने स्टॉल पर अपने व्यावसायिक मॉडल प्रस्तुत किए। कई टीमों ने ‘बाय एंड सेल’ मॉडल के तहत अपने उत्पाद भी बेचे, जिससे उनके विचारों की व्यवहारिकता और व्यावसायिक क्षमता स्पष्ट हुई।
इस आयोजन में विद्यार्थी विविधता से भरपूर व्यावसायिक विचार लेकर आए, जिनमें स्थानीय संसाधनों, पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत का नवोन्मेषी उपयोग देखने को मिला। बांस, जड़ी-बूटियाँ, कृषि उत्पादों के अलावा तकनीकी नवाचारों का भी प्रभावशाली समावेश था।
विशेष रूप से, एक विद्यार्थी ने कपड़ो का ब्रांड बनाया है, जिसमें महिलाओं के लिए पारंपरिक और आधुनिक फैशन के अनूठे संगम के साथ एक समृद्ध कलेक्शन तैयार किया गया है। वहीं, एक अन्य टीम ने पुराने जीन्स को पुनः उपयोग करके पर्यावरण की सुरक्षा और उद्यमशीलता दोनों को समेटे हुए आकर्षक हैंडबैग बनाए, जो न केवल नवाचार का उदाहरण हैं बल्कि स्थिरता की भी मिसाल हैं।
विद्यार्थियों ने कक्षा 11 के व्यवसायिक प्रोजेक्ट के आधार पर अपने इनोवेटिव प्रोडक्ट्स प्रस्तुत किए, जो पहले स्कूल और जिला स्तर की कड़ी प्रतिस्पर्धा से सफल होकर इस मंच तक पहुँचे।
इन नवाचारों को व्यवहार में लाने के लिए बिज़नेस सपोर्ट फंड के तहत राज्य के 500 सरकारी स्कूलों को 5,000 का सीड फंड फरवरी में उद्यम लर्निंग फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया गया था, जिससे विद्यार्थियों को अपने प्रोटोटाइप विकसित करने और व्यवसाय के शुरुआती चरण में मदद मिली। इस फंड की मदद से विद्यार्थियों को अपने विचारों को उत्पादों में बदलने और उन्हें बाज़ार में उतारने का अनुभव मिला, जिसकी झलक आज एक्सपो में उनके आत्मविश्वास से भरे प्रस्तुतिकरण में देखने को मिली।
कौशलम् कार्यक्रम कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों में उद्यमशीलता, समस्या समाधान, करियर योजना और नवाचार आधारित शिक्षा को बढ़ावा देता है। यह कार्यक्रम वर्तमान में उत्तराखंड के 2,127 स्कूलों में संचालित हो रहा है, जिसमें 2.97 लाख से अधिक विद्यार्थी और 6,727 शिक्षक शामिल हैं। कौशलम् कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यकृजैसे कि श्करके सीखनाश्, उद्यमशीलता, और 21वीं सदी के कौशलों के विकासकृके साथ पूरी तरह संरेखित है। यह विद्यार्थियों को स्कूल के पाठ्यक्रम के भीतर ही समस्याओं को पहचानने, समाधान बनाने और उन्हें व्यवहार में उतारने का व्यावहारिक अनुभव देता है।
कार्यक्रम में गैलरी वॉक, विद्यार्थी स्टॉल संवाद, पैनल चर्चा और पुरस्कार वितरण जैसे आकर्षक आयोजन हुए। विजेता टीमों को पुरस्कृत किया गया और शिक्षकों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इस दौरान श्उद्यमशील शिक्षकश् की प्रेरणादायी कहानियों पर आधारित एक पुस्तक का भी विमोचन हुआ, जिससे शिक्षकों की इस यात्रा में अहम भूमिका को विशेष सम्मान मिला। कार्यक्रम में, आईएएस अभिषेक रुहेला – महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा ,बन्दना गर्ब्याल – निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, डॉ. मुकुल सती- निदेशक माध्यमिक शिक्षा , पदमेंद्र सकलानी – अपर निदेशक (एस.सी.ई.आर.टी), के. एन. बिजलवान, सहायक निदेशक (एस.सी.ई.आर.टी) और कार्यक्रम समन्वयक सुनील भट्ट सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
राज्य परियोजना निदेशक एवं महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा, अभिषेक रोहिल्ला ने 21वीं सदी के कौशलों पर बात की और बच्चों को भविष्य के लिए तैयार होने का संदेश दिया। साथ ही, उन्होंने छात्रों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों की सराहना भी की।
निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, वंदना गर्ब्याल ने जनपदों से आए विद्यार्थियों की सभी प्रदर्शनी का गहराई से अवलोकन किया और उनके नवाचारों की विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने बच्चों को सतत रूप से उद्यमशील सोच विकसित करने के लिए प्रेरित किया और यह संदेश दिया कि वे 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना आत्मविश्वास और तैयारी के साथ कर सकें।
उद्यम लर्निंग फाउंडेशन के राज्य समन्वयक रोहित गुप्ता ने कहा, हमने बच्चों को सपने नहीं, समाधान बनाते देखा। एक्सपो में आई ऊर्जा, प्रतिबद्धता और स्थानीय समझ किसी भी राष्ट्रीय मंच को टक्कर देती है।
इस वर्ष की शीर्ष तीन विजेता टीमें इस प्रकार हैंः
प्रथम स्थान: जी आई सी सल्ला चिंगरी (पिथौरागढ़)
द्वितीय स्थान: जी आई सी मुस्तिक सौड (उत्तरकाशी)
तृतीय स्थान: जी आई सी दड़मियां (अल्मोड़ा)
यह एक्सपो इस बात का जीवंत उदाहरण है कि जब शिक्षा में रचनात्मकता, अवसर और नवाचार साथ मिलते हैं, तो विद्यार्थी न केवल सीखते हैं, बल्कि समाज और प्रदेश के लिए नई दिशाएँ भी तय करते हैं।

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